पीजीएस आईवीएफ आनुवंशिक परीक्षण कि सफलता दर और लागत
आज के दौर में आईवीएफ एक विश्वसनीय प्रजनन उपचार विकल्प के तौर पर जाना जाता है। इस प्रजनन उपचार को और भी बेहतर बनाने के लिए समय के साथ कुछ और उपचार जांच को जोड़ा गया है। जिससे आईवीएफ को एक नया आयाम दिया जाए, और एक कपल के तौर पर आपके लिए उपचार को सुदृढ़ किया जा सके। एक कपल के तौर पर जब आप आईवीएफ के लिए तैयार होते हैं, तो आपको कई तरह के जांच से होकर गुजरना पड़ता है। अगर आप भी निसंतानता की समस्या से जुझ रहे हैं तो दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर (Best IVF Centre in Delhi) से संपर्क कर सकते हैं।
ऐसी परिस्थिति में कई बार बांझपन की शिकायत आनुवांशिक होती है, और इसके बारे में डॉक्टर को भी तभी पता चलता है, जब आप बताते हैं। और, कुछ समय पहले तक इस तरह के विकार का कोई उपचार नहीं होता था, लेकिन आईवीएफ को बेहतर बनाते हुए पीजीएस यानी प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग को जोड़ा गया है। ऐसा अक्सर पाया गया है कि अगर किसी में बांझपन की समस्या आनुवांशिक हो तो उस कपल को गर्भपात और असफल आईवीएफ चक्र का सामना करना पड़ता है। लेकिन पीजीएस के आ जाने से आनुवांशिक विकार के बारे में समय से पता लगाया जा सकता है, जिससे उपचार में सफलता के लिए इस बात को ध्यान में रखकर किया जाता है।
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आइए जानते हैं पीजीएस आईवीएफ आनुवंशिक परीक्षण कि सफलता दर और लागत
क्या पीजीएस जांच (What is PGS test)
लैब में भ्रूण को तैयार करने के बाद गर्भाशय में स्थानांतरण से पहले पीजीएस जांच किया जाता है। इस जांच का उद्देश्य होता है कि भ्रूण में क्रोमोसॉम संबंधी असामान्यताओं की जांच करना, ऐसा करने से एक भ्रूणविज्ञानी के लिए सही भ्रूण का चुनाव करना आसान हो जाता है। ऐसा करने से इस बात की उम्मीद बढ़ जाती है कि जब भ्रूण को आरोपित किया जाए तो सफल गर्भावस्था और जीवित जन्म की संभावना बढ़ जाती है। सरल शब्दों में कहें तो पीजीएस के मदद से यह तय कर सकते हैं कि किस भ्रूण का आरोपण आपको उपचार में सफलता प्रदान करेगी।
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भ्रूण तैयार करने कि प्रक्रिया आईवीएफ उपचार का एक हिस्सा है, और हम सभी जानते हैं कि जरूरी नहीं है कि आपको पहली बार में ही सफलता मिले। इसी बात की संभावना को बढ़ाने के लिए पीजीएस जांच की सहायता ली जाती है, ताकी भ्रूणविज्ञानी सही भ्रूण का चुनाव करे और गर्भावस्था को सफल किया जा सके। जब आप सही भ्रूण का चुनाव करके आरोपण करती हैं तो पहली बार में सफलता चांस कहीं ज्यादा होती है, और ऐसा करने के दो मुल फायदें हैं। पहला कि आपका समय बचता है और दूसरा आप आनुवांशिक विरासत से छुटकारा पा लेंगे।
पीजीएस की सफलता दर (Success rate of PGS)
सही मायनो में कहा जाए तो यहां सफलता दर आकलन आईवीएफ इलाज का हो सकता है, नाकी पीजीएस का। क्योंकि पीजीएस एक जांच है जो एक भ्रूणविज्ञानी को सही भ्रूण चुनने की आजादी प्रदान करता है। पीजीएस के मदद से आईवीएफ सफलता दर को बेहतर किया जा सके, और आईवीएफ की सफलता कई विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। जैसे – उम्र, वजन और भ्रूण की गुणवत्ता पर।
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उम्र (Age) – ऐसा तो नहीं कहा जा सकता है कि आईवीएफ की सफलता का उम्र एक्स फैक्टर है, लेकिन आईवीएफ सफलता के लिए उम्र एक अहम फैक्टर है। क्योंकि आमतौर आईवीएफ सफलता विभिन्न उम्र पर अलग-अलग होती है, अगर कोई महिला 35 की उम्र में आईवीएफ उपचार करवा रही है तो सफलता का चांस ज्यादा होता है, और बढ़ते उम्र के साथ सफलता की दर घटते जाती है। इसलिए आईवीएफ में उम्र को सर्वोपरी रखा जाता है, ताकी पता चल सके आईवीएफ उपचार कितना कारगर साबित होगा।
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– 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं: पीजीएस का उपयोग करके भ्रूण स्थानांतरण की सफलता दर भ्रूण की गुणवत्ता के आधार पर 70% तक पहुंच सकती है।
– 35-40 आयु वर्ग की महिलाएं: सफलता दर आम तौर पर 40% से 60% के बीच होती है।
– 40 से अधिक उम्र की महिलाएं: दर लगभग 20% से 30% तक गिर सकती है, जो इस जनसांख्यिकीय में आनुवंशिक जांच के महत्व को उजागर करती है।
भ्रूण की गुणवत्ता(Quality of Embryo) – भ्रूण कि गुणवत्ता काफी अहम हो जाती है, खासकर जब आपने भ्रूण का चुनाव करने के लिए पीजीएस जांच का इस्तेमाल किया हो। एक भ्रूणविज्ञानी के तौर पर जब आप लैब में भ्रूण को तैयार करते हैं तो आपके सामने सही भ्रूण का चुनाव एक सवाल होता है, और आप इस परिस्थिति में पीजीएस की मदद लेते हैं। पीजीएस के मदद से आप सभी भ्रूण की क्रोमोसॉम, कोशिका और आनुवांशिक फैक्टर को जानते हैं, और फिर उस भ्रूण को चुनते हैं जो गर्भावस्था से लेकर संतानप्राप्ती तक को मुमकिन बनाये। और क्योंकि इस तरह की पीजीएस जांच करके भ्रूण के चुनाव करने का मतलब है कि सफलता आपके दरवाजे पर खड़ा है।
पीजीएस आईवीएफ आनुवंशिक परीक्षण की लागत (Costs of PGS IVF Genetic Testing)
ऐसा कहना कि आईवीएफ एक महंगा उपचार है तो आप शायद गलत स्थान पर जाकर पता कर रहे हैं, क्योंकि दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर(Best IVF Centre in Delhi) में आपको आईवीएफ इलाज उचित लागत पर हो जाता है। लेकिन अगर आप पीजीएस जांच को भी शामिल कर दें तो आपको आईवीएफ खर्चे में 19-20 का फर्क होता है। लेकिन आपको समझना होगा कि 19 से बढ़कर 20 खर्च होना आपके सफलता की चांस काफी हाई कर देता है और समय भी बचता है।
दिल्ली में आईवीएफ लागत (IVF Cost in Delhi) – दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर में से बेबी जॉय आईवीएफ सेंटर में आईवीएफ इलाज मात्र 68,000 से शुरु होता है, और यहां से इलाज करवाने पर आपको ऑफर प्रदान किया जाता है। इसे जानने के बाद भी अगर कोई आपसे कहता है कि आईवीएफ उपचार महंगा होता है, उसे आप इस सेंटर के बारे में बता सकते हैं। बात रही आईवीएफ उपचार के साथ पीजीएस जांच का इस्तेमाल तो जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया है कि 19-20 का ही फर्क होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पीजीएस जांच प्रजनन उपचार में एक अहम रोल निभाता है, और निसंतानता से जुझ रहे कपल्स के लिए उम्मीद की किरण की तरह है। इस परीक्षण के मदद से आईवीएफ की सफलता दर और लागत को समझकर, भावी माता-पिता अपने सपनों और परिस्थितियों के अनुरूप उचित विकल्प चुन सकते हैं। पीजीएस जांच एक भ्रूणविज्ञानी को इस बात की आजादी देता है कि वो सभी भ्रूण की जांच कर सही भ्रूण का चुनाव करें, ताकी गर्भावस्था और संतानप्राप्ती को मुमकिन बनाया जा सके। इसके अलावा पीजीएस आपको बांझपन के आनुवांशिक विरासत से भी छुटकारा देती है। पीजीएस जांच के आ जाने से आईवीएफ उपचार को और ज्यादा बेहतर, सुदृढ और विश्वसनीय बनाता है। एक कपल के तौर पर आपके लिए पीजीएस जांच थोड़े खर्चे के साथ कई सौगात लेकर आएगी।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1.पीजीएस परीक्षणित भ्रूणों के साथ आईवीएफ की सफलता दर क्या है?
उत्तर – पीजीएस-सामान्य भ्रूण की सफलता दर 60-70% होती है। लेकिन यह प्रति-स्थानांतरण के आधार पर है। मतलब है कि जब आप आईवीएफ की पहली चक्र शुरू करते हैं, तो प्रक्रियात्मक रूप से अंडे प्राप्त करते हैं, भ्रूण तैयार करते हैं और फिर पीजीएस परीक्षण करते हैं, ताकी एक सामान्य भ्रूण को चुनते हैं, और इस तरह से 60-70% मामलों में यह जीवित जन्म का कारण बनेगा।
प्र.2.क्या पीजीएस से आईवीएफ की सफलता बढ़ती है?
उत्तर- हां, अगर आपके भ्रूणविज्ञानी भ्रूण को तैयार करने के बाद आरोपण से पहले पीजीएस जांच का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आईवीएफ सफलता का चांस कहीं ज्यादा बढ़ जाता है।
प्र.3.पीजीएस परीक्षण की अनुशंसा कब की जाती है?
उत्तर- आमतौर पर, पीजीएस जांच की अनुशंसा आनुवांशिक बांझपन के मामलों मे किया जाता है। जिसकी वजह से भ्रूण की जांच की जाती है, ताकी यह पता लगाया जा सके कि कौन-सा भ्रूण आनुवांशिक उलझनों से अलग है।
प्र.4.यदि मुझे मासिक धर्म नहीं आता तो क्या मैं बांझ हूं?
उत्तर – आपको बता दें कि बांझपन की समस्या तब होती है जब आप गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। इसके अलावा बांझपन की कोई और परिभाषा नहीं है, बांझपन से पीड़ित महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म या फिर मासिक धर्म का न होना हो सकता है।
प्र.5.क्या आईवीएफ आनुवंशिक विकारों को दूर कर सकता है?
उत्तर – अगर आप सोच रहे हैं कि किसी सर्जरी या दवा के मदद से आनुवांशिक विकारों को दूर करने के बारे में थोड़ा मुमकिन है। आईवीएफ में आनुवांशिक विकारों को दूर करने के लिए पीजीएस जांच की सहायता ले सकते हैं।