प्रजनन क्षमता बढ़ाने के 16 प्राकृतिक तरीके

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आज भारत में 8 में से 1 महिला को गर्भधारण करने के लिए एआरटी की सहायता लेनी पड़ती है, वजह साफ है कि आज महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत तेजी से विकसीत हो रही है। किसी भी महिला के लिए गर्भधारण कर पाना इस बात पर आश्रीत है कि उसकी प्रजनन क्षमता कैसी है? रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों द्वारा प्रसारित एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण की माने तो, प्रसव उम्र की 9% विवाहित महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रसीत हैं। इनफर्टिलिटी की समस्या के कई वजह हैं, जैसे – रहन-सहन, खान-पान, धुम्रपान और अनुशासनहीन दिनचर्या। हालांकि कई मामलों में बांझपन की समस्या पुरुष पार्टनर के वजह से भी होती है, लेकिन ज्यादातर किस्सों में महिला की भुमिका ही बांझपन की वजह रही है। अगर आप भी इनफर्टिलिटी की समस्या से जुझ रहे हैं तो आप दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi with Price) में इसका इलाज करवा सकते हैं।

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एक वैवाहिक जोड़ा अपने खान-पान को लेकर एक बार के लिए संयम बरत सकते हैं, लेकिन इनफर्टिलिटी की और वजहों पर नियंत्रण कर पाना उनके लिए मुश्किल होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि कोई ऐसा तरीका है जिससे प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सके या मजबुत किया जा सके। इस आर्टिकल में हम जानेंगे प्रजनन क्षमता बढ़ाने के 16 प्राकृतिक तरीके, जिसके बाद आप प्राकृतिक रुप से गर्भधारण कर सकेगें। अगर आप चाहें तो दिल्ली के आईवीएफ सेंटर (IVF Centre in Delhi) के अनुभवी डॉक्टर से भी इन तरीकों को जान सकती हैं।

क्या है प्रजनन क्षमता?

किसी भी महिला के मामले में संदर्भित प्रजनन क्षमता का मतलब होता है बच्चे को पैदा करने की क्षमता या गर्भधारण करने की क्षमता। इस प्रक्रिया में महिला प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करती है और फिर 9 महीने के बाद बच्चे को जन्म देती है, गर्भधारण करना और गर्भावस्था को पाना ही प्रजनन क्षमता कहलाता है। ब्रिटानिका के अनुसार प्रजनन क्षमता को किसी व्यक्ति या जोड़े की सामान्य यौन गतिविधि के माध्यम से प्रजनन करने की क्षमता के रूप में परिभाषित करती है। आप भी अगर इनफर्टिलिटी की समस्या का इलाज करवाना चाहती हैं तो दिल्ली में आईवीएफ लागत (IVF Treatment Cost in Delhi) आपके लिए उचित रहने वाला है, और बेबी जॉय आईवीएफ सेंटर में अभी इलाज करवाने पर ऑफर भी उपलब्ध है।

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आईए जानते हैं 16 तरीकों को जिससे प्रजनन क्षमता को बेहतर किया जा सकता है।

  1. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करें – हमारी गलत आदतों से शरीर में कई तरह के नुकसान पहुंचाने वाले कण धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं, जो हमारे शुक्राणु और अंडाशय के कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। ऐसे में एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों का सेवन इस तरह के कण से हमारी सुरक्षा करता है और प्रजनन क्षमता के लिए भी मददगार साबित होता है। हमें अपने आहार में फल, हरी सब्जियां, नट्स और साबुत अनाज को अनुसरण में लाना चाहिए, क्योंकि इन खाद्य पदार्थो में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा मौजुद होती हैं।
  2. नाश्ता पर खास ध्यान दें – इनफर्टिलिटी से गुजर रही ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है कि वो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से ग्रसीत होती है, और पीसीओएस को बांझपन का एक प्रमुख कारण माना जाता है। 2013 में किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि अधिक नाश्ता करने से पीसीओएस के कुछ हार्मोनल प्रभावों में सुधार हो सकता है। इसके अलावा 2021 के अध्ययन के अनुसार सुबह में हाई कैलोरी का सेवन करने से पीसीओएस के लक्षणों में सुधार हो सकता है, बस आपको अपने नाश्ता में कम कार्ब्स वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करना है।
  3. ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रजनन क्षमता के लिए बेहतर – स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता को बेहतर करने के लिए आपको रोजाना फैट से भरे भोजन जरूरी है। ऐसे माना जाता है कि प्रजनन क्षमता के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपुर खाद्य पदार्थ प्रजनन क्षमता के लिए विशेष रूप फायदेमंद होता है। जैसे – फैटी मछली, चिया बीज, अखरोट और अलसी के बीज और अलसी का तेल।
  4. पीसीओएस से ग्रसीत हैं तो कार्ब्स कम करें – अगर आप पीसीओएस से ग्रसीत हैं तो आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप अपने खान-पान में कार्ब से भरपुर खाद्य पदार्थ का सेवन कम कर दें। कई अध्ययनों में पाया गया है कि कार्ब के सेवन पर कंट्रोल, पीसीओएस के कुछ मामलों में आपके लिए लाभदायक साबित हो सकती है।  
  5. रिफाइंड कार्ब्स का सेवन कम से कम करें – प्रजनन क्षमता को सिर्फ कार्ब्स ही नहीं प्रभावित करता है, इसके प्रकार जैसे रिफांइड कार्ब्स भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। रिफांइड कार्ब्स का सेवन करने से हमारे शरीर में सुगर की मात्रा को बढाता है, जिससे हमारे शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है। रासायनिक रूप से ओवेरियन हार्मोन और इंसुलिन एक समान है, और इंसुलिन अंडों को परिपक्व होने में मदद करता है। लेकिन लगातार शरीर में इंसुलिन का बढ़ना प्रजनन हार्मोन के उत्पादन में कमी आ सकती है।
  6. फाइबर पर ध्यान दें – 2020 में किए गए शोध में पाया गया है कि अगर आप फाईबर युक्त और कम सुगर वाली पदार्थ का सेवन करते हैं, तो ये महिला प्रजनन क्षमता को बेहतर कर सकता है।   
  7. अपने प्रोटीन स्रोतों पर पुनर्विचार करें – प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन के कई फायदे हैं, और प्रजनन क्षमता में मददगार साबित होना उनमें से एक है। 2019 में किए गए अध्ययन में पाया गया है कि मेडिटेरेनियन डाइट में प्रोटीन की मात्रा काफी होती है। और इस तरह के भोजन में मछली का सेवन भी आता है, जो प्रजनन क्षमता के लिए बेहतर होता है।
  8. डेयरी प्रोडक्ट पर भरोसा करें – ऐसी अवधारणा है कि डेयरी प्रोडक्डट का सेवन करने से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है लेकिन ऐसा नहीं है। 2018 के अध्ययन के अनुसार पता चला है कि डेयरी प्रोडक्ट में विटामिन डी की मात्रा होती है, जो प्रजनन क्षमता के लिए मददगार साबित होती है। हालांकि 2013 के रिसर्च के अनुसार पाया गया था कि ज्यादा फैट वाला डेयरी प्रोडक्ट की सेवन से शुक्राणु पर असर पडता है, लेकिन अगर आप कम फैट वाली डेयरी प्रोडक्ट के इस्तेमाल का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
  9. प्रसवपूर्व विटामिन पर विचार करें – अगर आप गर्भधारण करने के लिए तैयार हैं या फिर आप कोशिश कर रहे हैं, तो आप प्रसव पूर्व विटामिन ले सकती हैं। इसमें उच्च स्तर के विटामिन पाये जाते हैं जो प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था दोनों के लिए मददगार साबित होते हैं। इसमें फोलिक एसिड और बी विटामिन जैसे पोषक तत्व मौजुद होते हैं।
  10. एक्टिव रहें – रोजाना व्यायाम आपको सिर्फ स्वस्थ ही नहीं रखता है, बल्कि आपको रोगों से भी दूर रखता है और साथ रोजाना व्यायाम प्रजनन क्षमता को भी बेहतर करता है। हल्की-फुल्की शारीरीक गतिविधि आपके शरीर और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
  11. आराम करने के लिए समय निकालें – जीवन में जरूरत से ज्यादा तनाव आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इस बात को लेकर पहले भी काफी चर्चा की गई है कि तनाव से प्रजनन क्षमता पर कोई असर पड़ता है या नहीं। तनाव पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है, जिससे आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। ऐसे में अगर आप गर्भधारण करने के लिए तैयार हैं तो आपको तनाव से दूर रहना है और समय के साथ आराम करना भी जरूरी है।
  12. कैफीन से परहेज करें – इस बात का कोई प्रमाण तो नहीं है कि कैफीन और प्रजनन क्षमता एक-दूसरे के पुरक कैसे हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा कैफीन का सेवन सेहत पर बूरा असर डाल सकता है। इसलिए अगर आपको कॉफी पीने की आदत है तो आप उसे थोड़ा कम कर लें।
  13. वजन का ख्याल रखें – वजन का जरूरत से ज्यादा कम होना या फिर जरूरत से ज्यादा होना दोनों कंडिशन में गलत है, क्योंकि आपके मासिक धर्म चक्र, खासकर ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है जो सीधे तौर पर प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।
  14. शरीर में आयरन के स्तर की जांच करें – शरीर में आयरन की कमी कई दिक्कतों को न्योता दे सकता है। ऐसा माना जाता है कि शरीर मे आयरन की कमी सीधे तौर पर एनर्जी की कमी है, औऱ साथ में इसका असर हड्डीयों पर पड़ता है। ऐसे में आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप समय पर ब्लड टेस्ट करायें, और आयरन की कमी पाये जाने पर उसकी पूर्ती के लिए आयरन युक्त पदार्थ का सेवन करें।
  15. धुम्रपान और शराब से दूर रहें – इस बात में कोई शक नहीं है कि नशा हमारे शरीर को पूरी तरह से खोखला कर देता है, और साथ में कैंसर जैसी बीमारी का डर भी हमेशा बना रहता है। कोई कपल अगर धुम्रपान और शराब का सेवन करता है तो उनके प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा। पुरुष में शुक्राणु संबंधी समस्या हो सकती है, और महिलों में अंडाशय को प्रभावित करता है। अगर आपका बच्चा हो भी जाता है तो बच्चे में कैंसर का डर बना रहता है।
  16. मधुमक्खी उत्पादों पर विचार करें – मधुमक्खी उत्पादों का इस्तेमाल शुरू से ही महिला प्रजनन क्षमता को मजबूत बनाने के लिए किया जाता रहा है। 2023 के रिसर्च की माने तो इस उत्पाद को आप पीसीओएस से संबंधित बांझपन में मदद कर सकते हैं, और साथ में प्रजनन तंत्र को भी मजबुत करती है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष में, प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने के 16 प्राकृतिक तरीके हैं, जैसे कि एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना, नाश्ते पर ध्यान देना, ओमेगा -3 फैटी एसिड का सेवन करना, पीसीओएस से पीड़ित होने पर कार्ब्स कम करना, रिफाइंड कार्ब्स का सेवन कम करना, फाइबर पर ध्यान देना, प्रोटीन पर पुनर्विचार करना स्रोत, डेयरी उत्पादों पर निर्भर रहना, प्रसवपूर्व विटामिन पर विचार करना, सक्रिय रहना, आराम करने के लिए समय निकालना, कैफीन से बचना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, आयरन के स्तर की जांच करना, धूम्रपान और शराब से दूर रहना और मधुमक्खी उत्पादों पर विचार करना। इन तरीकों का पालन करके, आप प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकते हैं और स्वाभाविक रूप से गर्भधारण की संभावना बढ़ा सकते हैं।

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