आईवीएफ शुरू करने से पहले परीक्षण

आईवीएफ शुरू करने से पहले कौन से परीक्षण किए जाते हैं? (What tests are done before starting IVF?)

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बांझपन की समस्या से जुझ रहे कपल्स के लिए आईवीएफ उपचार उम्मीद की लौ की तरह रही है। हालांकि, आईवीएफ उपचार में सफलता को प्राप्त करने के लिए अंतर्निहीत कारक के अनुसार उपचार को डिजाइन किया जाता है, और इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि मरीज की स्वास्थ्य संबंधी सभी तरह की जानकारी हो। दिल्ली के शीर्ष आईवीएफ सेंटर (Top IVF Centre in Delhi) बताते हैं कि जब कोई कपल उपचार के लिए आता है तो समस्या संबंधी जानकारी के लिए कई तरह के परिक्षणों से होकर गुजरना पड़ता है।

इस लेख में आप जानेंगे आईवीएफ शुरू करने से पहले कौन से परीक्षण किए जाते हैं?

डिम्बग्रंथि आरक्षित परीक्षण(Ovarian Reserve Testing)

दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर(Best IVF Centre in Delhi) के अनुसार आईवीएफ उपचार को परफॉर्म करने से पहले किए जाने वाले परिक्षणों में एक डिम्बग्रंथि आरक्षित परीक्षण भी है। कई बार डिम्बग्रंथी में उचित मात्रा में अंडो के न होने के कारण कंसीव करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इस तरह की जांच डिम्बग्रंथी संबंधी जानकारी, और ओवेरियन रिजर्व के बारे में जानने के लिए जरूरी हो जाता है।

  • एंटी-मुलरियन हार्मोन(AMH) –  शेष अंडे की आपूर्ति का अनुमान प्रदान करता है।
  • एस्ट्राडियोल –  डिम्बग्रंथि के कार्य का मूल्यांकन करने में मदद करता है। ये परीक्षण डॉक्टरों को रोगी के लिए सबसे उपयुक्त उपचार प्रोटोकॉल निर्धारित करने में मदद करते हैं।

वीर्य विश्लेषण(Semen Analysis)

दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ फर्टिलिटी क्लिनिक(Best Fertility Clinic in Delhi) का मानना है कि बांझपन की स्थिति का कारण सिर्फ महिलाएं ही नहीं होती है, बल्कि कपल्स में पुरूष पार्टनर भी बांझपन की स्थिति का कारण होता है। ऐसे में जब कपल्स उपचार के लिए जाते हैं तो पुरूष पार्टनर के प्रजनन स्वास्थ्य को जानने के लिए वीर्य विश्लेषण अहम हो जाता है।

शुक्राणु स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए कुछ कारकों पर ध्यान देना होता है। जैसे – शुक्राणु गणना – प्रभावित प्रजनन क्षमता के मामले में शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है, जिसके कारण शुक्राणु की संख्या कम हो जाती है। शुक्राणु गतिशीलता – शुक्राणु की प्रभावी रूप से गति करने की क्षमता। शुक्राणु आकृति विज्ञान – शुक्राणु का आकार और संरचना सही आकार में हो तभी अंडाशय की यात्रा आसान होती है।

संक्रामक रोग जांच(Infectious Disease Screening)

दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ फर्टिलिटी क्लिनिक(Best Fertility Clinic in Delhi) बताते हैं कि आईवीएफ उपचार को संक्रामक रोग प्रभावित कर सकती है, और इस स्थिति से बचने के लिए कपल्स को संक्रामक रोग जांच से होकर गुजरना पड़ता है। आईवीएफ प्रक्रिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों भागीदारों को संक्रामक रोगों की जांच से गुजरना पड़ता है। आम परीक्षणों में शामिल हैं: एचआईवी हेपेटाइटिस बी और सी सिफलिस ये जांच प्रक्रिया के दौरान संक्रमण के संचरण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

गर्भाशय का मूल्यांकन(Uterine Evaluation)

दिल्ली में शीर्ष 5 आईवीएफ केंद्र(Top 5 IVF centre in Delhi) के अनुसार कई बार गर्भाशय में उत्पन्न समस्यात्मक स्थिति भी बांझपन का कारण बनते हैं, और इस तरह की स्थिति के कारण कंसीव कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। गर्भाशय का स्वास्थ्य सफल प्रत्यारोपण और गर्भावस्था के लिए महत्वपूर्ण है। परीक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड – गर्भाशय और अंडाशय का विस्तृत दृश्य प्रदान करता है।
  • हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी(एचएसजी) – फैलोपियन ट्यूब में रुकावटों की जांच करता है।
  • सोनोहिस्टेरोग्राफी – असामान्यताओं के लिए गर्भाशय की परत का मूल्यांकन करता है।

जेनेटिक स्क्रीनिंग(Genetic Screening)

दिल्ली में शीर्ष 10 आईवीएफ केंद्र (Top 10 IVF centre in Delhi) बताते हैं कि बांझपन की स्थिति में आनुवांशिक विकार हमेशा से संलिप्त रहा है। यहां तक कि करीब एक से दो दशक पहले बांझपन का आनुवांशिक विकार माना जाता था। बच्चे को दी जाने वाली किसी भी वंशानुगत स्थिति की पहचान करने के लिए अक्सर जेनेटिक परीक्षण की सलाह दी जाती है। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • कैरियर स्क्रीनिंग – दोनों भागीदारों में आनुवंशिक उत्परिवर्तन की पहचान करता है।
  • प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग(PGT) – प्रत्यारोपण से पहले आनुवंशिक असामान्यताओं के लिए भ्रूण की जांच करता है।

हार्मोनल आकलन(Hormonal Assessments)

दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ फर्टिलिटी क्लिनिक(Best Fertility Clinic in Delhi) बताते हैं कि असंतुलित हार्मोन्स भी बांझपन की स्थिति का एक कारक होता है। ऐसे में उपचार से पहले बांझपन के कारण को जानने के लिए हार्मोनल आकलन जांच जरूरी होता है। डिम्बग्रंथि आरक्षित परीक्षण के अलावा, अन्य हार्मोनल मूल्यांकन किए जा सकते हैं, जैसे –

  • थायरॉइड फ़ंक्शन टेस्ट: थायरॉइड असंतुलन प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
  • प्रोलैक्टिन स्तर: उच्च स्तर ओव्यूलेशन में बाधा डाल सकता है।

इस बात में कोई शक नहीं है कि यह सभी जांच दिल्ली में आईवीएफ लागत(IVF cost in Delhi) आपके पॉकेट को प्रभावित कर सकता है। लेकिन इन जांचो को लेकर एक सच यह भी है कि बांझपन के कारक को जानने और उसके अनुसार उपचार को सुनिश्चित करने के लिए अहम हो जाता है। ये परीक्षण यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि गर्भाशय गर्भावस्था को सहारा देने में सक्षम है।

निष्कर्ष(Conclusion)

कोई भी कपल जब आईवीएफ उपचार के लिए जाते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श के बाद और उपचार प्रक्रिया को शुरू करने से पहले जांच करवाना होता है। बांझपन की स्थिति को जानने के लिए इस तरह के जांच अहम होते हैं, और जांच के बाद आए रिपोर्ट के अनुसार ही उपचार को डिजाइन किया जाता है। आईवीएफ शुरू करने से पहले किए जाने वाले परीक्षण सफलता की संभावनाओं को अधिकतम करने और जोखिम को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। दोनों भागीदारों के प्रजनन स्वास्थ्य का गहन मूल्यांकन करके, डॉक्टर व्यक्तिगत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उपचार योजना तैयार कर सकते हैं।

पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्र.1. आईवीएफ से पहले कौन से परीक्षण आवश्यक हैं?

उत्तर – आईवीएफ उपचार से पहले आपको विभिन्न जांचों से होकर गुजरना पड़ता है। इन जांचों में शामिल है – डिम्बग्रंथि आरक्षित परीक्षण, वीर्य विश्लेषण, संक्रामक रोग जांच, आनुवंशिक जांच, और गर्भाशय का मूल्यांकन जैसे अल्ट्रासाउंड और संभवतः हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी(एचएसजी)।       

प्र.2. मैं आईवीएफ के लिए अपने शरीर को कैसे तैयार करूं?

उत्तर – अगर आप आईवीएफ उपचार करवाना चाहते हैं, और उससे पहले उपचार के लिए खुद को तैयार करने के लिए आप पौष्टिक आहार का सेवन, नियमित व्यायाम, उचित वजन बनाए रखना और जीवनशैली में बदलाव को शामिल कर सकते हैं।

प्र.3. आईवीएफ के लिए प्रारंभिक परीक्षण क्या है?  

उत्तर – आईवीएफ में प्रारंभिक परीक्षण के तौर पर आप डिम्बग्रंथी रिजर्व जांच और वीर्य विश्लेषण जैसे जांचों को परफॉर्म किया जाता है। इसके साथ ही पीजीटी को भी प्रारंभिक जांच के तौर पर काउंट किया जाता है।   

प्र.4. क्या मुझे आईवीएफ से पहले एचएसजी की आवश्यकता है?

उत्तर – ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि आईवीएफ से पहले एचएसजी जरूरी होता है। एचएसजी का इस्तेमाल बांझपन के मामले में एक समस्यात्मक स्थिति में होता है, फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में किसी समस्या में।  

प्र.5. आईवीएफ से पहले क्या प्रयास करें?

उत्तर – आमतौर पर जब एक कपल आईवीएफ उपचार के लिए जाता है, तो डॉक्टर उसे 1 साल तक प्राकृतिक रूप से प्रयास करने के लिए कहते हैं, और उसके बाद ही आप आईवीएफ उपचार के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। अगर इसके बावजूद सफलता नहीं मिलती है तो आप उपचार के लिए जाने से पहले खुद को उपचार के लिए तैयार करने का काम कर सकते हैं।

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