
फ्रोजन एम्ब्रियो ट्रांसफर क्या है? प्रक्रिया, जोखिम और सफलता दर
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आईवीएफ की प्रक्रिया में विभिन्न प्रजनन उपचार शामिल होते हैं, फ्रोजन एम्ब्रियो ट्रांसफर (एफईटी/FET ) भी उनमें से एक है।
श्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre) के अनुसार, एफईटी (FET) गर्भावस्था (Pregnancy) प्राप्त करने में एक सहायक प्रक्रिया है। इस उपचार में रेफ्रीजिरेटर में सुरक्षित तरीके से स्टोर किये हुए भ्रूण का उपयोग किया जाता है। एफईटी (FET) चक्र की अवधि में, भ्रूण को डीफ़्रॉस्ट किया जाता है और महिला के गर्भाशय के अंदर रखा जाता है। यह मासिक धर्म चक्र की गर्भधारण-सहायक अवधि के दौरान किया जाता है।
गुड़गांव में सबसे बेहतर आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Gurgaon) आपकी एफईटी (FET) यात्रा के दौरान सहायता कर सकता है। ऊँचे स्तर के डॉक्टर्स की एक टीम और आधुनिक तकनीकों के सेटअप के साथ, आप खुद को एक आकर्षक चिकित्सा का अनुभव प्राप्त करने का मौका दे सकते हैं।
आईवीएफ केंद्र (IVF Centre ) के अनुसार,फ्रोजन एम्ब्रियो ट्रांसफर (एफईटी/FET) में पाई जाने वाली विधियों को जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए इसका गहन विश्लेषण किया गया है और इस प्रक्रिया के संबंध में आवश्यक जानकारी भी यहां प्रस्तुत की गई है। आइए अब हम एफईटी (FET) में शामिल प्रक्रिया, जोखिम और सफलता दर के बारे में जानें।
एफईटी उपचार की प्रक्रिया (Procedure of FET Treatment)
जैसा कि सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre) द्वारा निर्देशित है, एफईटी (FET) की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार हैं (Step by Step):
1. हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy): गुडगाँव में आईवीएफ केंद्र (IVF Centre in Gurgaon) के अनुसार,हार्मोन थेरेपी 2 तरह से की जा सकती है, जो निचे बताये गए है।
- एस्ट्रोजन थेरेपी (Estrogen Therapy): इसमें प्रोजेस्ट्रोन का इंजेक्शन दिया जाता है और फिर एफईटी के इलाज के लिए, एक विशेष दिन को चुना जाता है जब एंडोमेट्रियल लाइनिंग (endometrial lining) एक पर्याप्त माप की हो जाती है।
- प्राकृतिक चक्र (Natural Cycles): डॉक्टर द्वारा ओव्यूलेशन ट्रैकिंग के बाद स्वस्थ भ्रूण को गर्भाशय के अंदर रखा जाता है। कुछ स्कैन और परीक्षणों से इसकी पुष्टि की जाती है और इम्प्लांटेशन विंडो की व्यवस्था की जाती है।
2. भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer): आमतौर पर प्रोजेस्टेरोन थेरेपी के तीसरे से पांचवें दिन भ्रूण को स्थानांतरित (transfer) किया जाता है। ओव्यूलेशन के जैविक चक्र के लिए, भ्रूण को एफईटी (FET) के निर्धारित दिन पर सुबह गर्भाशय में स्थानांतरित (transfer) किया जाता है।
3. हार्मोनल अध्ययन और गर्भाधान परीक्षण (Hormonal Study and Conception Test):भ्रूण स्थानांतरण (embryo transfer) के 12 से 14 दिनों के बाद एक सीरम गर्भावस्था परीक्षण ( serum pregnancy test) किया जाता है। इसके बेहतर परिणाम से सीरम प्रोजेस्टेरोन को मापा जा सकता है, पर अगर परिक्षण का परिणाम अच्छा न हुआ तो, हार्मोनल थेरेपी बंद कर दी जाएगी क्योंकि मासिक धर्म आमतौर पर कुछ दिनों में शुरू होता है। जब मासिक धर्म चक्र समाप्त होने वाला होता है, तो आपका डॉक्टर आपसे योनि सोनोग्राम परीक्षण(vaginal sonogram test) या सीरम प्रोजेस्टेरोन परीक्षण (serum progesterone test) या दोनों कराने का अनुरोध कर सकता है।
4. अनुवर्ती परामर्श (Follow-Up Consultation): यदि गर्भावस्था का परीक्षण पॉजिटिव आता है, तो योनि सोनोग्राम परिक्षण (vaginal sonogram test) 2 से 3 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया जाता है। इस समय, हम आमतौर पर भ्रूणों की संख्या पहचानने में सक्षम होते हैं और तो और दिल की धड़कन भी महसूस कर सकते हैं। इस उपलब्धि को पार करने के बाद, गर्भावस्था के नुकसान का जोखिम कम हो जाता है। अगर फिर भी, किसी कारण वश प्रक्रिया सफल नहीं होती है, तो आपको अपने आईवीएफ विशेषज्ञ से इसका परामर्श (consultation) लेना चाहिए।
एफईटी उपचार में शामिल जोखिम (Risks Involved in FET Treatment)
गुडगाँव में आईवीएफ केंद्र (IVF Centre in Gurgaon) ने एक सुझाव दिया है कि आपको किसी भी प्रजनन उपचार पर विचार करते समय उसके संभावित जोखिमों के बारे में ज़रूर पता होना चाहिए।
श्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre) के अनुसार, एफईटी (FET) थेरेपी लेते समय निम्नलिखित अनिश्चितताएँ(uncertainties) हो सकती हैं:
- गर्भावस्था के नुकसान की संभावना (Chances of Pregnancy Loss): प्रजनन उपचार में सफल होने का 100% आश्वासन तो हमे नहीं मिल सकता है। अगर किसी मामले में, इम्प्लांटेशन फलदायी नहीं होता है, तो यह गर्भधारण चाहने वाले दम्पत्तियों को भावनात्मक क्षति पहुंचा सकता है। यह पार्टनर के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए बहुत बुरा है।
- एकाधिक गर्भधारण की संभावना (Possibility of Multiple Pregnancies): देखिए, FET की प्रक्रिया में, कई भ्रूणों का स्थानांतरण () किया जाता है, इसलिए इसमें जुड़वाँ या तीन बच्चों या उससे भी अधिक के साथ गर्भधारण करने की संभावना होती है। साथ ही यह मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
FET की सफलता दर (FET Success Rate)
गुड़गांव के बेहद प्रसिद्ध आईवीएफ सेंटर (IVF Centre Gurgaon) द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, अगर हम एफईटी (FET) प्रक्रिया के सफलता के बारे में बात करते हैं, तो 35 वर्ष या उससे कम उम्र के रोगियों में गर्भधारण की संभावना 60% होती है। दूसरी ओर, 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना केवल 20% होती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
गुडगाँव में आईवीएफ केंद्र (IVF Centre in Gurgaon) के अनुसार, एफईटी (FET) की प्रक्रिया में माता-पिता बनने के इच्छुक दम्पत्तियों को एक फलदायी गर्भधारण प्रदान करने की काफी संभावना है।
हाँ, इस उपचार में भी कुछ संभावित जोखिम ज़रूर है।
उम्र के कारण गर्भधारण करने की संभावना में अंतर आ सकता है। यह 35 या उससे कम उम्र और 40 से अधिक उम्र की महिलाओं में भिन्न होता है।आईवीएफ या एफईटी को अपनी बांझपन की समस्या के इलाज के रूप में विचार करते समय, आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें से, दिल्ली / एनसीआर में आईवीएफ लागत (IVF Cost in Delhi/NCR) पर गहन शोध किया जाना चाहिए। हमेशा किफायती उपचार चुनें जिसमे इलाज की गुणवत्ता (quality) से समझौता न हो।