आईवीएफ की सफलता बढ़ाने वाली नई तकनीकें
आईवीएफ इलाज या फिर टेस्ट ट्यूब बेबी ने अभी तक लाखों लोगों को संतानप्राप्ती का सुख प्रदान कर चुका है। लेकिन लोगों के बीच में आज भी आईवीएफ को लेकर संशय रहता है, जबकी समय के साथ आईवीएफ इलाज को और भी बेहतर बनाने के लिए कुछ नए तकनीकों को जोड़ा है। सरल भाषा में कहें तो कल तक आप इलाज में सफलता को लेकर सोच-विचार करते थे, लेकिन IVF की सफलता बढ़ाने वाली नयी तकनीकों को इजात किया गया है। अगर आप भी इनफर्टिलिटी की समस्या से जुझ रहे हैं तो आप दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi) में इसका इलाज करवा सकते हैं।
ऐसे में अगर आप आईवीएफ की सफलता बढ़ाने वाली नई तकनीकों को लेकर रिसर्च कर रहें हैं तो आपको बता दें कि आईवीएफ की सफलता सिर्फ तकनीक पर ही निर्भर नहीं करता है। इसके लिए आपको भी मेहनत करने की जरूरत है क्योंकि आपको समझना होगा कि आईवीएफ एक जरीया जो गर्भधारण करने में मददगार साबित होता है। आईवीएफ सफलता के लिए आपको उन कारकों से भी दूर रहना होगा जो आईवीएफ सफलता के लिए रास्ते का पत्थर बन सकते हैं। जैसे – उचित वजन का न होना, स्वास्थ्य और धूम्रपान के सेवन।
हालांकि, आईवीएफ में सफलता को लेकर सोच-विचार जायज है, क्योंकि मां बनने के लिए मेहनत करने के वाबजूद अगर सफलता न मिले तो मानिसक रूप से झकझोर देता है। ऐसी ही परिस्थितियों के लिए नये तकनीकों को जोड़ा गया, इन तकनीकों के इलाज इतने बेहतर हैं कि कुछ विशेष मामलों में भी मददगार साबित होगा। आईवीएफ ने अभी तक बहुत ही बेहतर प्रदर्शन किया है, और हरेक नामुमकिन मामलों में आईवीएफ ने रिजल्ट दिया है।
एक बात आपको समझना होगा कि गर्भावस्था के सफर में आईवीएफ इलाज आपको सिर्फ एक मोड़ तक लेकर जाएगा, उससे आगे का सफर कैसे करना है ये आप पर निर्भर करता है। आईए जानते हैं आईवीएफ की सफलता बढ़ाने वाली नई तकनीकों के बारे में।
एआई का इस्तेमाल(Use of AI) – आईवीएफ इलाज और ज्यादा सटीक और बेहतर बनाने के लिए एआई का इस्तेमाल सहायक साबित होगा। इससे आपके लिए बेहतर अंडे और भ्रूण जैसे कई चीजों का चुनाव आसान हो जाएगा, जो इलाज में सफलता के लिए अहम किरदार निभा सकता है।
टाइम-लैप्स भ्रूण निगरानी(Time-lapse Fetal Monitoring) – टाइम-लैप्स को एक वीडियों रेफरेंस से कह जाए तो एक छोटे से समय कई दिन भर के कारनामों को देख सकते हैं। ठीक ऐसे ही आप किसी भ्रूण को लेकर सेलेक्टीव हो सकते हैं क्योंकि इस इलाज में आप इनक्यूबेटर के अंदर सूक्ष्म कैमरों का उपयोग करके भ्रूण विकास की निरंतर निगरानी कर सकते हैं। बेहतर विकास, बेहतर भ्रूण और ऐसे आप सेलेक्टीव हो सकते हैं।
प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) – ज्यादातर बीमारीयों में हमने देखा है कि अनुवांशिक एंगल होता है, और बांझपन जैसे मामलों में भी अनुवांशिक का रोल रहता हैं। ऐसे में पीजीटी तकनीक का उपयोग करके आप जान सकते हैं कि गर्भधारण में आ रही समस्या की वजह अनुवांशिक तो नहीं है।
लेजर अस्सिटेड हैचिंग(Laser Assisted Hatching) – एआरटी उपचार में नया जोड़ा गया यह उपचार तकनीक सुदृढ स्थानांतरण के लिए जाना जाता है। एलएएच उपचार प्रक्रिया में भ्रुण को गर्भाशय में रखने से पहले एक छोटी सी दरार की जाती है, जिससे भ्रुण को आपके गर्भाश्य में आसानी से डाला जा सके और ये भ्रूण के आरोपण में मदद करती है।
क्रायोप्रिजर्वेशन प्रक्रिया(Cryopreservation Process) – अगर आप अपने युवावस्था में पितृत्व नहीं चाहते हैं या फिर इस दुनिया में अपनी स्थान बनाने में व्यस्त हैं। तो आपके लिए ही क्रायोप्रिजर्वेशन प्रक्रिया का इजात किया गया है। इस उपचार प्रक्रिया में आप अपने भ्रूण को फ्रीज और संग्रहीत कर सकते हैं। ताकी आप आने वाले समय जैसे आप 35 या फिर 40 के उम्र में भी संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं। और इस प्रक्रिया से आप अपने बच्चे के जैविक पिता बन जाएंगे।
आईवीएफ की सफलता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors That Affect the Success of IVF)
आईवीएफ इलाज से पहले कुछ बेसिक जानकारी आपके सफलता के चांस को निर्दिष्ट करता। जैसे उम्र, वजन और प्रजनन से जुड़ी जानकारी। ऐसा नहीं कह सकते हैं कि आईवीएफ सफलता को प्रभावित करने वाला कारक उम्र है, लेकिन उम्र उन कारकों में से एक है। ऐसे कई कारक हैं जो आईवीएफ सफलता को प्रभावित कर सकते हैं।
आईवीएफ इलाज के लिए उम्र अहम किरदार निभाता है, और उस अनुसार इलाज की प्रक्रिया को तय किया जाता है। 40 के बाद मां बनने के बारे में सोचना सही है लेकिन आमतौर इस वक्त महिलाओं को वजन भी बढ़ जाता है। और ऐसे में मातृत्व के बारे में सोचना खुद पर दोगुनी भार बढ़ाने जैसा है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है प्रजनन क्षमता प्रभावित होने लगता है, और लगभग 40 के उम्र तक महिलाएं मेनोपॉज के प्रवेश कर जाती हैं। और इस वक्त पर प्राकृतिक रूप से मां बन पाना नामुमकिन हो जाता है।
इसके अलावा अगर आप धूम्रपान और शराब का सेवन करते हैं तो आपके लिए इन चीजों से दूरी बनाना ही आपके लिए उचित रहेगा। मर्दो में धूम्रपान सीधे तौर पर शुक्राणु पर असर डालता है, जिससे शुक्राणु संख्या, गुणवत्ता और गतिशीलता को प्रभावित करता है।
आईवीएफ सफलता की तैयारी के लिए टिप्स(Tips for Preparing for IVF)
आईवीएफ इलाज में सफलता ही सबसे अहम प्रक्रिया जिसका इतंजार हर कोई करता है। ऐसे में अगर आप भी इलाज में सफलता चाहते हैं तो आपको कुछ बेसिक चीजों पर ध्यान देना होगा। और ऐसा करने से इलाज में सफलता की चांस बढ़ती है। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है, आपको अनुशासित जीवनशैली को अपनाना होगा।
पौष्टीक आहार और अनुशासित जीवनशैली(Healthy Foods and Disciplined Lifestyle) – जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है कि आईवीएफ सफलता के लिए वजन भी एक अहम कारक है। अगर आप आईवीएफ इलाज करवाना चाहती हैं, और आपका वजन ज्यादा है तो आपके लिए परेशानी डबल हो जाएगी। इसलिए आपको पौष्टीक आहार की ओर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे आपके शरीर को विटामिन, प्रोटीन और खनिज जैसे पोषत तत्व मौजूद हो। इससे आपका स्वास्थ्य भी और आईवीएफ में सफलता दोनों के लिए बेहतर होगा।
इसके साथ ही आपको अनुशासित जीवनशैली को भी अपनाना होगा, इससे आप अपने बढ़े हुए वजन को कम कर सकती हैं। अनुशासित जीवनशैली में पौष्टीक आहार, रोजाना व्यायाम और उचित नींद लेना शामिल है।
मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का महत्व(The Importance of Mental and Emotional Health) – अगर आप आईवीएफ इलाज करवाना चाहती हैं तो आपको खुद पर काबु रखना होगा। इलाज को लेकर आप उत्साहित हो सकती है लेकिन आपको रिजल्ट के तौर पर गर्भधारण समय लग सकता है। इस दौरान एक कपल के तौर पर आपको मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत रहना है ताकी इलाज में आपको सफलता, और आपको संतान सुख मिले।
क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इलाज से लेकर गर्भावस्था के दौरान, अगर आप मानसिक रूप से नकारात्मक होती हैं तो इसका असर इलाज और उसके रिजल्ट पर पड़ सकता है।
असंतुलित हार्मोन(Unbalanced Hormone) – महिलाओं में असंतुलित हार्मोन कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है, और बांझपन उन्हीं समस्याओं में से एक है। असंतुलित हार्मोन की वजह से आपको पीसीओएस जैसी समस्या हो सकता जो मासिक धर्म को रोककर प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा पीसीओएस के वजह से ओवेरि सिस्ट का भी डर रहता है। असंतुलित हार्मोन आपके मां बनने के सपने में बूरे सपने जैसा है, जो आपके सपने को तोड़ सकता है।
अगर आप भी बांझपन की समस्या का इलाज कराना चाहते हैं तो दिल्ली में आईवीएफ का लागत (IVF cost in Delhi) आपके लिए उचित रहेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
नए तकनीकों का इजात आईवीएफ इलाज को और भी ज्यादा सुदृढ और बेहतर सफलता चांस के लिए किया गया है। इन उपचारों में शामिल है एआई का इस्तेमाल, टाइम-लैप्स भ्रूण निगरानी, प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग, लेज़र अस्सिटेड हैचिंग और क्रायोप्रिजर्वेशन प्रक्रिया। आईवीएफ सफलता में उम्र, वजन और जीवनशैली अहम रोल निभा सकते हैं। और इसकी शुरूआत आप पौष्टीक आहार, अनुशासित जीवनशैली और मानसिक रूप से सकारात्मकता इलाज में सफलता का चांस बढ़ा सकती है।
आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप हमेशा सकारात्मक रहें, और इलाज की पूरी प्रक्रिया के दौरान इन सभी बातों को ध्यान रखें। अगर आप भी इनफर्टिलिटी की समस्या से जुझ रहे हैं तो आप दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi) में इसका इलाज करवा सकते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1. सफल आईवीएफ के लिए कितने अंडे चाहिए?
उत्तर- आमतौर पर इस तरह का सवाल को जवाब अंडे की गुणवत्ता और महिला के उम्र पर निर्भर करता है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि महिला की उम्र जितनी कम होगी अंडा उतना ही फर्टाइल होगा। सामान्य रूप से 8 से 15 अंडे चाहिए, जिससे स्थानांतरण के लिए बेस्ट भ्रूण का चुनाव किया जा सके।
प्र.2. आईवीएफ इलाज से पहले खुद को कैसे तैयार करें?
उत्तर- इसके लिए आपको कुछ विशेष कारकों पर ध्यान देना होगा, जिससे आपको आईवीएफ इलाज में सफलता मिल सके। जैसे में – पौष्टीक आहार का सेवन, अनुशासित जीवनशैली, उचित वजन का होना और स्वास्थ्य।
प्र.3. भ्रूण स्थानांतरण के बाद गर्भावस्था की संभावना कैसे बढ़ाएं?
उत्तर- अपने पानी और इलेक्ट्रोलाइट की खपत बढ़ाएं। सामान्य रूप से लोगों को रोजाना 2 लीटर पानी पीना चाहिए। इसके साथ ही सोच-विचार कम करें, ज्यादा काम करने, ज्यादा तीव्रता वाले व्यायाम या बहुत ज़्यादा डाइट (जैसे कीटो और इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग) से बचें।
प्र.4. कैसे पता चलेगा कि भ्रूण स्थानांतरण सफल है या नहीं?
उत्तर- यदि आपका मासिक धर्म चक्र नियमित है और भ्रूण स्थानांतरण के बाद आपका मासिक धर्म नहीं आया है , तो यह एक सकारात्मक संकेत हो सकता है कि स्थानांतरण सफल रहा! गर्भावस्था परीक्षण करने और अपने प्रजनन क्लिनिक तक पहुंचने का समय आ गया है।
प्र.5. यूटरस का आकार कितना होना चाहिए?
उत्तर- आपका गर्भाशय ऊपर से नीचे तक लगभग 3 इंच और सबसे चौड़े हिस्से पर 2 इंच चौड़ा होता है। यह लगभग 1 इंच मोटा होता है और इसका वजन लगभग 1 औंस होता है।