पुरुष प्रजनन परीक्षण कैसे काम करते हैं?(How do male fertility tests work?)
बढ़ते समय के साथ पुरूष बांझपन एक आम समस्या बनकर उभरा है, और आंकड़ो को लेकर बात करें तो दुनियाभर में आज के दौर में 15% कपल्स बांझपन की समस्या से जुझ रहे हैं। और इन आंकड़ो में आधे बांझपन के मामले पुरूष संबंधी हैं। ऐसे में पुरूष अक्सर सवाल पूछते हैं कि बांझपन के बारे में कैसे जान सकते हैं। तो इसके लिए पुरूषों को प्रजनन परीक्षण से होकर गुजरना पड़ता है। हालांकि, आज भी समाज में पुरूष बांझपन को लेकर बात नहीं होती है, ऐसे में उम्मीद करना कि जनता पुरुष प्रजनन परीक्षण कैसे काम करते हैं? जैसी चीजें पता हो नामुमकिन है। आप भी आईवीएफ उपचार के बारे में सोच रहे हैं तो दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर (Best IVF center in Delhi) मददगार साबित होगा।
इस लेख में जानेंगे पुरुष प्रजनन परीक्षण कैसे काम करते हैं?
पुरुष प्रजनन क्षमता को समझना(Understanding Male Fertility)
पुरूष प्रजनन क्षमता को लेकर बात करने का मतलब है कि शुक्राणु संबंधी समस्या को लेकर बात करना। पुरूष बांझपन के कारण को देखें तो पता चलेगा कि कैसे शुक्राणु संबंधी समस्या बांझपन की स्थिति को पैदा करता है। शुक्राणु संबंधी समस्या निम्नलिखित हैः
शुक्राणु संख्या कम होना(Low Sperm Count)– निषेचन के लिए जरूरी होता है कि गर्भाशय में शुक्राणु का होना जरूरी है, लेकिन अगर शुक्राणु संख्या कम होती है, तो बांझपन की स्थिति पैदा होने लगती है।
शुक्राणु गतिशीलता प्रभावित होना(Affected Sperm Motility) – शुक्राणु की गतिशीलता प्रभावित होने का मतलब है, प्रजनन अंग से निकलने के बाद शुक्राणु गर्भाशय यानी अपनी मंजील तक नहीं पहुंच पाता है।
शुक्राणु आकृति विज्ञान(Sperm Morphology) – शुक्राणु का आकार और आकृति क्षतिग्रस्त होने का मतलब है कि शुक्राणु का बेकार होना, और इस तरह के क्षतिग्रस्त शुक्राणु सही दिशा में आगे न बढ़कर, खो जाते हैं।
वीर्य की मात्रा और स्थिरता(Semen Quantity and Consistency) – सही तरह से निषेचन के लिए जरूरी होता है कि शुक्राणु में वीर्य उचित मात्रा में मौजूद हो।
पुरुष प्रजनन परीक्षण के प्रकार (Types of Male Fertility Tests)
पुरूष बांझपन की स्थिति को जानने के लिए कई तरह के परिक्षणों से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें बांझपन के कारक को जानने के लिए विभिन्न विषयों को लेकर जांच किया जाता है, और इन परिक्षणों की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर किसी भी तरह के निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। परिक्षण के प्रकार निम्नलिखित हैः
वीर्य विश्लेषण (Semen Analysis) – जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया है कि पुरूष बांझपन में शुक्राणु-संबंधी समस्या ही अहम कारण होता है। और इसके कारक को जानने के लिए सबसे पहले पुरूष को वीर्य विश्लेषण से होकर गुजरना होता है। इसके लिए सबसे पहले शुक्राणु सैंपल को कलेक्ट किया जाता है, और इस प्रक्रिया को करने से पहले मरीज को 2-5 दिन किसी भी तरह की सेक्सुअल गतिविधी में शामिल न होने की सलाह दी जाती है। इसके बाद प्रयोगशाला में वीर्य विश्लेषण के दौरान शुक्राणु संख्या, गतिशीलता, आकृति विज्ञान, वीर्य की मात्रा, पीएच स्तर और श्वेत रक्त कोशिकाओं को जाना जाता है। अगर इनमें से कोई एक भी स्थिति अपनी उचित स्तर से कम पाया होता है, तो बांझपन का कारक बनता है।
हार्मोनल परीक्षण (Hormonal Tests) – पुरूष प्रजनन स्थिति को जानने के लिए हार्मोनल परिक्षण भी किया जाता है। आपको बता दें कि असतुंलित हार्मोन्स भी बांझपन का कारक होता है, और यह पुरूष और महिला दोनों को ही समान रूप से प्रभावित करता है। ऐसे में हार्मोनल परिक्षण जरूरी हो जाता है, और इस परिक्षण में विभिन्न हार्मोन्स के स्तर का आकलन किया जाता है। क्योंकि असंतुलित हार्मोन्स शुक्राणु उत्पादन और समग्र पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। हार्मोनल परिक्षण में कूप-उत्तेजक हार्मोन (एफएसएच), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच), टेस्टोस्टेरोन और प्रोलैक्टिन के बारे में जाना जाता है। यह सभी हार्मोन्स रक्त प्रवाह और शुक्राणु उत्पादन में अहम रोल निभाते हैं, और ऐसे में किसी एक हार्मोन के स्तर बढ़ना और घटना दोनों ही समस्यात्मक है।
आनुवंशिक परीक्षण (Genetic Tests) – अन्य रोगों या समस्या के तरह ही बांझपन एक अनुवांशिक प्रभाव होता है। बांझपन भी एक पीढि से दूसरे में आ जाती है, और एक दौर में बांझपन की समस्या सबसे ज्यादा आनुवांशिक ही होते थे। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आनुवांशिक परिक्षण का सहारा लिया जाए, ताकी पता लगाया जा सके कि बांझपन की स्थिति का कारण आनुवांशिक तो नहीं है। सामान्य आनुवंशिक परीक्षणों में शामिल हैं – कैरियोटाइपिंग, वाई क्रोमोसोम माइक्रोडिलीशन टेस्ट और सिस्टिक फाइब्रोसिस जीन उत्परिवर्तन परीक्षण। इन चीजों के परिक्षण से पता चलता है कि क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम जैसी असामान्यताओं का और वाई क्रोमोसोम के अनुपस्थिति का पता लगता है।
उन्नत शुक्राणु कार्य परीक्षण (Advanced Sperm Function Tests) – जब आपके डॉक्टर को वीर्य विश्लेषण परिक्षण में कुछ ठोस नहीं मिलता है, तो उनके सामने उन्नत शुक्राणु कार्य परीक्षण का विकल्प बचता है। जिसके मदद से शुक्राणु के बारे में और ज्यादा बेहतर तरीके से जांच और जानकारी को एकत्रित किया जाता है। इसमें शुक्राणु डीएनए विखंडन परीक्षण, शुक्राणु प्रवेश परख (एसपीए) और एक्रोसोम प्रतिक्रिया परीक्षण के बारे में पता लगाया जाता है। इस बात में कोई शक नहीं है कि पुरूष बांझपन कारक आपको कई तरह से प्रभावित करते हैं। हाइपरटेंशन, तनाव, और शराब-धूम्रपान जैसे कारक शुक्राणु को प्रभावित करने में अहम रोल निभाते हैं।
अगर आप संतानप्राप्ती के लिए आईवीएफ उपचार कराना चाहते हैं, तो दिल्ली में आईवीएफ लागत (IVF Cost in Delhi) आपके लिए किफायती होगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
पुरूष बांझपन के मामलों में प्रजनन परिक्षण आपको हरेक मुमकिन बात को जानने में मदद करता है। सरल शब्दों में कहें तो इस तरह के जांच के बाद ही यह पता चलता है कि बांझपन की स्थिति को पैदा करने में किन कारकों का योगदान है। पुरूष बांझपन के कारण की बात करें यानी शुक्राणु संबंधी समस्या कि तो शुक्राणु संख्या, गुणवत्ता, गतिशीलता, वीर्य की मात्रा, आकृति विज्ञान और डीएनए विखंडन के परिक्षणों में निकली किसी भी तरह की कमी, समस्या को स्पष्ट करने में मदद करती है। पुरूषों के लिए प्रजनन परिक्षण ठीक उसी तरह से मददगार साबित होता, जैसे – किसी के देहांत पर परिवार को मिलने वाला बीमा का लाभ या अमाउंट करता है। आप भी आईवीएफ उपचार के बारे में सोच रहे हैं तो दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर (Best IVF center in Delhi) मददगार साबित होगा।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र.1. वीर्य विश्लेषण क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर – पुरूष प्रजनन परिक्षण में वीर्य विश्लेषण सबसे आम परीक्षण है। इसकी मदद से शुक्राणु की गुणवत्ता निर्धारित करने और संभावित प्रजनन समस्याओं को जानने के लिए शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता, आकृति विज्ञान, वीर्य की मात्रा और अन्य मापदंडों का मूल्यांकन करता है। इस परिक्षण के मदद से बांझपन की स्थिति को पैदा करने वाले कारक को जानने की कोशिश कि जाती है।
प्र.2. विश्लेषण के लिए वीर्य का नमूना कैसे एकत्र किया जाता है?
उत्तर- विश्लेषण के लिए वीर्य के नमूने को एकत्र करने के लिए, आमतौर पर हस्तमैथुन के माध्यम से एक खाली कंटेनर में एकत्र किया जाता है। शुक्राणु की इष्टतम सांद्रता सुनिश्चित करने के लिए स्खलन से 2-5 दिनों के परहेज के बाद इसे एकत्र किया जाता है।
प्र.3. हार्मोनल परीक्षण क्या हैं और वे पुरुष प्रजनन क्षमता से कैसे संबंधित हैं?
उत्तर- आपको बता दें कि असंतुलित हार्मोन्स भी बांझपन की समस्या का कारक बनते हैं। ऐसे में हार्मोनल परीक्षण प्रजनन स्वास्थ्य में शामिल प्रमुख हार्मोन, जैसे एफएसएच, एलएच, टेस्टोस्टेरोन और प्रोलैक्टिन के स्तर को मापते हैं। जिससे असंतुलित हार्मोन्स को जाना जाया सके। इन हार्मोनों में असंतुलन शुक्राणु उत्पादन और समग्र प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
प्र.4. पुरुष बांझपन के लिए आईयूआई की सफलता दर क्या है?
उत्तर – बात करें, सफलता दर कि तो पुरुष बांझपन के लिए आईयूआई की सफलता दर महिला साथी की उम्र, बांझपन के अंतर्निहित कारण और शुक्राणु की गुणवत्ता जैसे कारकों के आधार पर भिन्न होती है। औसतन, आईयूआई की सफलता दर प्रति चक्र 10-20% के बीच होती है।
प्र.5. मुझे पुरुष प्रजनन परीक्षण की तैयारी कैसे करनी चाहिए?
उत्तर- पुरुष प्रजनन परीक्षण की तैयारी में जांच से पहले 2-5 दिनों तक स्खलन से बचना, गर्मी के संपर्क से बचना, स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता या प्रयोगशाला द्वारा दिए गए किसी भी विशिष्ट निर्देशों का पालन करना शामिल है।