बच्चा पैदा करने के लिए पुरुष के पास कितना शुक्राणु होना चाहिए?
हम सभी जानते हैं कि एक बच्चे को पैदा करने के लिए शुक्राणु और अंडे की जरूरत होती है, लेकिन आपको एक बात समझनी होगी कि गर्भधारण करने के लिए स्पर्म, शुक्राणु संख्या और शुक्राणु गुणवत्ता जैसी चीजें काफी मायने रखती है। गर्भावस्था के लिए जरूरी होता है कि शुक्राणु अंडे को निषेचित करे, और उसके बाद ही गर्भधारण मुमकिन है। कई बार एक महिला को बांझपन जैसी समस्या से सिर्फ इस वजह से जुझना पड़ता है क्योंकि उसके पार्टनर में शुक्राणु संबंधी समस्या से ग्रसीत हो। ऐसे में किसी महिला के लिए गर्भधारण कर पाना एक सवाल बन जाता है। पुरुष में शुक्राणु संबधी समस्या के कई कारण हो सकते हैं, अगर आपका पार्टनर भी ऐसी किसी समस्या से जुझ रहा है तो दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi) में इसका इलाज करवा सकते हैं।
शुक्राणु संबंधी समस्या आपके माता-पिता बनने के सपने से आपको दूर कर सकता है, तो अगर आप ऐसी परिस्थिति से गुजर रहे हैं तो दिल्ली के आईवीएफ सेंटर (IVF Centre in Delhi) में इस समस्या का इलाज करवा सकते हैं। आज के इस फैशनेबल जमाने में, लोग अपने शौक को पूरा करने में भुल जाते हैं कि किसी भी चीज का सेवन उनके स्वास्थ्य. प्रजनन क्षमता, शुक्राणु संख्या और गुणवत्ता पर बूरा असर डाल सकता है। आज लोग नशे को पैशन के तौर पर करते हैं, और इसका सीधा प्रभाव उनके स्वास्थ्य, शुक्राणु और फर्टिलिटी पर पड़ता है, जितना ज्यादा नशा उतना ही ज्यादा प्रभाव और फिर बाद में इनफर्टिलिटी जैसी समस्या से गुजरना पड़ता है।
शुक्राणु क्या है?
शुक्राणु पुरूष यौन कोशिकाएं हैं जो प्रजनन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में काम करती है। शुक्राणु पुरुष के अंडकोष में बनता है, और यहां से यात्रा करते हुए महिला के फैलोपियन ट्यूब तक जाता है जहां अंडे पाए जाते हैं। शुक्राणु महिला के अंडों को निषेचित करता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भावस्था होती है। शुक्राणु की समस्या से अगर आप जुझ रहे हैं और आप आईवीएफ इलाज के बारे में सोच रहे हैं तो दिल्ली में आईवीएफ लागत (IVF Cost in Delhi) आपके लिए उचित रहने वाले है, और बेबी जॉय आईवीएफ सेंटर में ऑफर भी उपलब्ध है।
शुक्राणु के भाग
- शीर्ष – शुक्राणु के इस भाग में 23 क्रोमोसाम मौजुद होते हैं, और ये क्रोमोसाम हैं जिनमें पुरूष की सभी आनुवंशिक विवरण होता है जो पुरुष आगे बढाएगा। निषेचन की प्रक्रिया के दौरान, एक शुक्राणु कोशिका महिला के अंडे में प्रवेश करती है और अंडे में पहले से मौजूद 23 क्रोमोसाम के साथ मिलती है। उसके बाद एक कोशिका बनती है जिसमें पुरूष के 23 और महिला के 23 क्रोमोसाम मिलाकर 46 क्रोमोसाम होता है। और इस तरह से 46 क्रोमोसाम के मिलने के 9 महीने के बाद एक बच्चे का जन्म होगा, जिसमें पुरुष और महिला दोनों के अंश दिखेंगे।
- मध्य खंड – शुक्राणु के इस पार्ट में माइटोकॉन्ड्रिया उपलब्ध होता है, जो शुक्राणु को स्थानांतरित होने के लिए प्रचुर शक्ति प्रदान करता है।
- पूंछ – इसे फ्लैगेलम भी कहा जाता है, पूंछ शुक्राणु को महिला के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से निषेचन के लिए अंडे की तलाश में आगे बढ़ाती है। पूंछ शुक्राणु की लंबाई का लगभग 90% हिस्सा बनाती है।
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गर्भधारण के लिए शुक्राणु की कौन सी विशेषताएं मायने रखती हैं?
कई अलग-अलग कारक शुक्राणु के स्वास्थ्य और अंडे के निषेचित होने की संभावना को निर्धारित करते हैं। कारक की बात करें तो शुक्राणु की संख्या, एकाग्रता, गतिशीलता और आकार ये सभी मिलकर निर्धारित करते हैं कि पुरुष प्रजनन करने में सक्षम है या नहीं। एक पुरुष के लिए एक महिला को गर्भवती करने में सक्षम होने के लिए शुक्राणु की मात्रा और अंडकोष से निकलकर फैलोपियन ट्यूब तक मुव करने की क्षमता सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं।
क्या शुक्राणुओं की संख्या आईवीएफ की सफलता को प्रभावित करती है?
हां, शुक्राणुओं की संख्या आईवीएफ जैसी प्रजनन तकनीक के इस्तेमाल को पूरी तरह से प्रभावित करती है। अगर कम शुक्राणु संख्या के साथ आप आईवीएफ का इलाज कराते हैं तो गर्भधारण करने के लिए और इलाज की सफलता के लिए, आपके शुक्राणु का स्वास्थ्य और गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। यदि पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम है तो विकल्प के रूप में अब शुक्राणु को इंट्रासाइटोप्लाज्मिक शुक्राणु इंजेक्शन नामक प्रक्रिया के माध्यम से सीधे अंडे में इंजेक्ट किया जा सकता है। शुक्राणु का कम होना या शुक्राणु गुणवत्ता बेहतर न होना, समस्या का विषय है क्योंकि ऐसी स्थिति में आईवीएफ के इलाज से भी गर्भधारण में दिक्कत होती है और आईवीएफ इलाज विफल होने का डर रहता है।
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गर्भवती होने के लिए आपको कितने शुक्राणुओं की आवश्यकता है?
एक अंडे को निषेचित करने के लिए केवल एक ही शुक्राणु काफी होता है। लेकिन जानने वाली बात यह है कि लाखों के हिसाब से निकलने वाले शुक्राणु में से बहुत ही कम शुक्राणु अंडे तक पहुंच पाते हैं। आमतौर पर, प्रत्येक स्खलन के साथ औसतन 200 से 300 मिलियन शुक्राणु निकलते हैं। केवल स्वस्थ शुक्राणु ही निषेचित करने के लिए अंडे तक पहुंच पाता है या फिर यह कह सकते हैं कि केवल स्वस्थ शुक्राणु को अंडे को निषेचित करने की अनुमति मिलती है। अगर आपको संदेह है कि आपका शुक्राणु गुणवत्ता कैसा है तो आप दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi) में जांच करवा सकते हैं।
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निष्कर्ष
शुक्राणु संख्या और गुणवत्ता दोनों ही गर्भधारण के लिए अहम है। गर्भावस्था के लिए शुक्राणु के लिए अंडे को निषेचित करना जरूरी है। शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकार जैसे सभी कारक प्रजनन में भूमिका अदा करते हैं। एक अंडे को निषेचित करने के लिए केवल एक ही स्वस्थ शुक्राणु काफी है, लेकिन सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए स्खलन के दौरान कई शुक्राणु निकलते हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि शुक्राणु की संख्या आईवीएफ जैसे प्रजनन उपचार की सफलता को प्रभावित करती है। अपनी हरकतों को सुधारते हुएस्वास्थ्य का ध्यान देना और उन गलतीयों से बचना जो शुक्राणु की गुणवत्ता पर असर डाल सकती हैं, गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे जोड़ों के लिए महत्वपूर्ण है।